औरैया,संवाददाता : औरैया जिले के बिधूना में लूट के मामले में बरामद कार से घूमना सिपाहियों को महंगा पड़ गया। कार के मालिक ने एसपी से मामले की शिकायत की। हादसे में कार क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसे रिपेयरिंग के लिए मैकेनिक के गैराज में खड़ा किया गया था। वहीं, कार मालिक कार को देख लिया। शिकायत के बाद सीओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस अधीक्षक ने बुधवार को कोतवाली के दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया।
क्या है पूरा प्रकरण ?
बिधूना कस्बे की लोहामंडी में विकास मार्बल्स दुकान के पास तीन अगस्त की रात को लोहा मंडी निवासी राहुल गुप्ता पर अछल्दा निवासी पवन गुप्ता से मारपीट कर कार, नकदी व मोबाइल लूटने का आरोप लगा था। मामले में पवन की मां ऊषा देवी ने राहुल के खिलाफ लूट, हत्या का प्रयास आदि धाराओं में मामला दर्ज कराया था। मामले के विवेचक उपनिरीक्षक अभय प्रताप सिंह ने चार अगस्त को ही लूटी गई कार व मोबाइल को लोहामंडी से बरामद कर कोतवाली ले आए।
हादसे में हुए क्षतिग्रस्त
दाखिल न करने की वजह से कार हेड मुहर्रिर के कब्जे में नहीं आई। बीते रविवार को कोतवाली में तैनात सिपाही अजय कुमार व अनिल चौधरी किसी काम के चलते कार को कोतवाली से बाहर ले गए। वापस लौटने के दौरान कार डिवाइडर से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गई। इस पर सिपाहियों ने मरम्मत करवाने के लिए कार मैकेनिक के गैराज में छोड़ दी।
दोनों सिपाही निलंबित
कार कोतवाली के बाहर ले जाने व क्षतिग्रस्त होने की जानकारी होने पर पीड़ित पवन कुमार ने मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक चारु निगम से की। पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच सीओ बिधूना अशोक कुमार को सौंपकर रिपोर्ट मांगी। सीओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस अधीक्षक चारु निगम ने बुधवार को दोनों सिपाहियों अजय कुमार व अनिल चौधरी को मुकदमे में बरामद कार का प्रयोग करने के आरोप में निलंबित कर दिया। सीओ बिधूना अशोक कुमार सिंह ने बताया कि जांच में दोनों सिपाहियों का कार थाने के बाहर ले जाना पाया गया। इस पर पुलिस अधीक्षक ने दोनों को निलंबित किया है।
माल बरामदगी के बाद दरोगा जी भूल गए दाखिल कराना
लूट के मामले में बरामद कार व मोबाइल को विवेचक की ओर से एक महीने तक दाखिल नहीं करवाया गया। हैरत की बात यह है कि यदि दरोगा ने कार दाखिल नहीं की तो कार की चाबी व मोबाइल उनके पास होनी चाहिए था। चाबी सिपाहियों के पास कैसे पहुंच गई। सिपाही कार को कोतवाली के बाहर ले गए। इसकी भी जानकारी दरोगा ने उच्चाधिकारियों को नहीं दी।