रायपुर, आलोक साहू : राजधानी के डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में कॉर्डियोलॉजी विभाग ने ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व इम्प्लांट (टीएमवीआर) वॉल्व इन वॉल्व प्रक्रिया के जरिए एक 70 साल महिला मरीज की जिंदगी बचाई। मरीज की छाती पर बिना किसी चीरे के माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट कर दिया गया। डॉ. स्मित श्रीवास्तव के मुताबिक , माइट्रल वाल्व को रोगी की जांघ की नसों के माध्यम से एंजियोप्लास्टी में हृदय की नसों में स्टेंट लगाने के समान प्रक्रिया की ओर से प्रत्यारोपित किया गया। मरीज को 26 एमएम का माइट्रल वॉल्व लगा दिया गया है।
मरीज गंभीर माइट्रल रेगर्गिटेशन (एमआर) से पीड़ित था, जो एक सामान्य हृदय रोग है जिसके लिए आम तौर पर ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता होती है। मरीज को 6 फरवरी 2024 को कॉर्डियोलॉजी विभाग, एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में नॉन इनवेसिव प्रक्रिया से गुजरना पड़ा और सिर्फ दो दिनों के बाद सुरक्षित रूप से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
मरीज को बेहोश करके दाहिने जांघ की नसों के रास्ते कैथेटर के माध्यम से एओर्टा तक पहुंचे। एओर्टा से बैलून को ले जाते हुए माइट्रल वाल्व के लिए जगह बनाई। उसके बाद बैलून एक्सपेंडेबल वाल्व को पुराने वाल्व की जगह पर प्रत्यारोपित किया गया। डॉ. स्मित श्रीवास्तव के मुताबिक , टीएमवीआर (ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट) वाल्व-इन-वाल्व थेरेपी एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है।
यह उन रोगियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो पहले माइट्रल वाल्व सर्जरी करा चुके हैं लेकिन अब वाल्व विफलता अनुभव कर रहे हैं। किसी अन्य ओपन-हार्ट सर्जरी के बजाय, यह तकनीक कैथेटर के माध्यम से प्रत्यारोपित वाल्व के भीतर वाल्व प्रत्यारोपण की अनुमति देती है। प्रक्रिया में एक कैथेटर को पैर की नस के माध्यम से डाला जाता है और हृदय तक पहुंचा दिया जाता है जहां नया वाल्व खराब हो चुके सर्जिकल वाल्व के भीतर रखा जाता है।