प्रयागराज,रिपब्लिक समाचार संवाददाता : अब भले ही अतीक के साथ ही उसके माफियाराज का खात्मा हो गया हो लेकिन एक दौर वो था, जिसके बारे में याद कर आज भी इलाके के लोग डर जाते हैं। अतीक की गुंडई के पीछे था उसका क्रूर व्यवहार। अतीक के सामने लोग झुकते थे तो इसका कारण सम्मान नहीं बल्कि खौफ था।यदि आपने जी-हुजूरी नहीं किया तो अतीक के गुस्से का सामना करना पड़ता था । चकिया में बंगले की जगह जहां पर आज मलबा और कबाड़ पड़ा है, कभी आलम यह था कि वहां से सड़क पर गुजरते समय तमाम लोग सिर झुका लेते थे क्योंकि माफिया को अपने सामने किसी का सिर ऊंचा करना गवारा नहीं था।
अतीक खुद को राजा की तरह करता था पेश
एक सामान्य किसान और तांगा चलाने वाले हाजी फिरोज के बेटे अतीक अहमद ने चार दशक तक गुंडाराज बना के रखा। चकिया में उसके पुश्तैनी भवन के हाल और बगीचे में अतीक अहमद का दरबार लागाता था जिसमें नेता से लेकर अधिकारी तक सम्मिलित होते थे और वो फरमान जारी करता था।
अतीक का बंगला लोगों के लिए आतंक और कौतुहल का केंद्र था लेकिन किसी की हिम्मत नहीं थी कि वहां रुककर गेट की तरफ झांक सके। बंगले की तरफ देखना तो दूर, गाड़ी का हार्न भी वहां बजाने का मतलब था अपने लिए मुसीबत को बुलाना। गाड़ी का हार्न बजाने वाले को अतीक के आदमी पीछा करके पकड़ लेते। फिर उसे बंगले में लाकर अतीक के सामने पेश किया जाता। अतीक धमकाता और मार- पीट कर ही छोड़ता। यूं अतीक खुद को किसी राजा की तरह पेश करता रहा।
अतीक के बंगले के बड़े गेट खुलते तो उसके काफिले में शामिल लैंड क्रूजर, बीएमडब्लू जैसी लग्जरी कारे सायरन बजाते हुए तेज रफ्तार में चलती। लैड क्रूजर या बीएमडब्लू कारो में अतीक होता और आगे-पीछे की गाडियो में राइफलों, पिस्टल, रिवाल्वर से लैस गुर्गे। वे अतीक के लिए सुरक्षा के साथ ही शूटर का भी कार्य करते थे। एक समय उसकी कारो में फरहान, आबिद, , अंसार बाबा ,जुल्फिकार उर्फ तोता जैसे आपराधिक प्रवृति के लोग हथियार लेकर चलते थे।