महाकुंभनगर, जागरण संवाददाता : गंगा समग्र संगठन अपने 15 आयामों से जिस प्रकार गंगा की सेवा कर रहा है, प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है। आम जन को इस अभियान में अधिक से अधिक सहभागी बनना होगा, तभी मां गंगा की अविरलता निर्मलता बनी रहेगी।
जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने शनिवार को गंगा समग्र के शिविर में आयोजित कार्यकर्ता संगम में ये बातें कहीं। उन्होंने सभी जल स्रोतों को सुरक्षित रखने का आह्वान करते हुए कहा, बिना इसके जीवन को बचाना संभव नहीं होगा। कार्यक्रम की शुरुआत मां गंगा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई।
अनियोजित विकास ने बहुत नुकसान किया- अवधेशानंद
संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष ने कार्यकर्ता संगम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कहा कि गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए आवश्यक है कि हम इस पर व्यापक रूप से विचार करें। गंगा में मिलने वाली सभी छोटी बड़ी सहायक नदियां तभी अविरल व निर्मल रहेंगी, जब हम अंधविश्वास से दूर होंगे। अनियोजित विकास ने भी बहुत नुकसान किया है। इस स्थिति को बदलना होगा।
बताया गया कि गंगा सेवियों के बीच जाकर कई वर्ष से निषादराज जयंती मनाई जा रही है, ताकि जीवनदायिनी के प्रति सजग किया जा सके। विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा, 11 वर्ष पूर्व गंगा समग्र का गठन हुआ था। जहां गंगा के पवित्र घाट हैं तथा जहां सहायक नदियां मिलती हैं, वहां कोई न कोई कार्य संगठन की ओर से किए जा रहे हैं।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि यदि हम दृढ़संकल्पित होकर प्रयास करेंगे तो निश्चय ही संगठन के धेय वाक्य अविरल गंगा, निर्मल गंगा के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। आगामी दिनों के लिए पौधरोपण, गंगा दशहरा आदि पर होने वाले आयोजनों की कार्ययोजना बनाने का आह्वान किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह लल्लू बाबू ने कहा, यह मंच व्यास पीठ है।