बरेली, संवाददाता : सपा की दूसरी सूची जारी होने के साथ ही बरेली मंडल की पांच सीटों में से तीन पर स्थिति साफ हो गई है। मौजूदा समय में तीनों सीटों पर बाहरी प्रत्याशी हैं। इसके साथ ही बरेली में भी बाहरी प्रत्याशी आने की चर्चाएं तेज हो गईं हैं। इसको लेकर कार्यकर्ताओं ने अंदरखाने विरोध भी शुरू कर दिया है। वह स्थानीय लोगो को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। इधर, पीलीभीत सीट के लिए कहा जा रहा है कि भाजपा की सूची सामने आने के बाद सपा पत्ते खोलेगी। ऐसा हुआ तो मंडल में समाजवदी पार्टी का किसी भी सीट पर स्थानीय प्रत्याशी नहीं होगा।
आंवला लोकसभा सीट पर सपा जातिगत समीकरण साधते हुए आगे बढ़ रही है। सीट से मौजूदा समय में भाजपा से धर्मेंद्र कश्यप सांसद हैं। सपा ने नीरज मौर्य को प्रत्याशी बनाया है। करीब 19 लाख मतदाता वाली इस सीट पर ढाई लाख कश्यप और पौने दो लाख मौर्य वोट हैं। यादव वोट भी करीब एक लाख है। करीब चार लाख मतदाता मुस्लिम हैं। सपा का कहना है उनकी पीडीए अपील ठीक से बैठी तो यह सीट उनकी झोली में आ सकती है। जिलाध्यक्ष पहले से ही कश्यप समाज से हैं। इस सीट से अगम मौर्य को भी दावेदार कहां जा रहा था। वह यहां से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं और 2022 में सपा ने उन्हें बिथरी चैनपुर से चुनाव लड़ाया था।
बदायूं से धर्मेंद्र यादव हैं प्रत्याशी
बदायूं में धर्मेंद्र यादव प्रत्याशी हैं और यहां से तीन बार चुनाव में जीत चुके चुके हैं। जबकि वह भी बाहरी प्रत्याशी कहे जाते हैं। अब शाहजहांपुर में भी सपा ने बाहरी प्रत्याशी को उतार दिया है। कार्यकर्ताओं के अनुसार राजेश नोएडा के रहने वाले हैं। 2022 में फरीदपुर से विधानसभा का टिकट मांग रहे थे। मंडल में बरेली और पीलीभीत सीट पर ही सपा की घोषणा होना बाकी है।
बरेली सीट पर भाजपा के संतोष गंगवार आठ बार जीत चुके हैं। उनके सामने सपा कोई कुर्मी बिरादरी से ही प्रत्याशी लाना चाह रही है, चर्चा है कि यहां बाहरी प्रत्याशी ही होगा। वहीं पीलीभीत में भाजपा से टिकट घोषणा के बाद यह भी संभव है कि सपा इस सीट पर खुद का प्रत्याशी न उतारकर इंडिया गठबंधन के ही एक प्रत्याशी को समर्थन दे दे।
एक वर्ष पहले लखनऊ में हुई बैठक में जब पीलीभीत सीट की चर्चा आई तो सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सभी के सामने ही एक सांसद का नाम लेते हुए कहा था उन्हें चुनाव नहीं लड़ाना है क्या। कहा जा रहा है कि पीलीभीत में पार्टी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के समर्थन में रहेगी। इन्हीं समीकरणों के आसपास चीजें रहीं और मौजूदा घोषित टिकटों में कोई बदलाव नहीं हुआ तो इस बार के चुनाव में सपा के पास कोई भी स्थानीय प्रत्याशी नहीं होगा।
जिलाध्यक्ष बदलने की मांग,सोशल मीडिया पर विरोध जारी
सपा की दूसरी सूची जारी होते ही सोशल मीडिया पर भी विरोध शुरू हो गया है। कार्यकर्ता लिख रहे हैं कि पूर्व में भी कुछ बाहरी नेताओं को लड़ाया गया, लेकिन वह फिर कभी क्षेत्र में लौटकर नहीं आए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विरोध तो अंदरखाने शुरू हो गया है लेकिन पार्टी छोड़कर कोई कहीं नहीं जाएगा, यह बहुत साफ है।
पार्टी नेता यही आस लगा रहे हैं कि उनके विरोध और तर्कों के बाद शायद पार्टी टिकट बदल दे। यादव नेताओं ने यह भी मांग उठानी शुरू कर दी है कि जब आंवला से मौर्य प्रत्याशी घोषित हो गया है तो जिलाध्यक्ष के पद पर अब यादव होना चाहिए ताकि यादव एकजुट रहें।