नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 15 दिसंबर को अमेरिका का BlueBird-6 उपग्रह लॉन्च करने जा रहा है। यह उपग्रह 6.5 टन वजनी है और भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम-3 (LVM3) के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
BlueBird-6 एक संचार उपग्रह है, जिसे अमेरिका की कंपनी AST SpaceMobile ने विकसित किया है। यह दुनिया के सबसे भारी वाणिज्यिक उपग्रहों में से एक है। यह 19 अक्टूबर को अमेरिका से भारत पहुंचा था।
“BlueBird-6, अमेरिका से लाइसेंस प्राप्त उपग्रह है
कंपनी ने जानकारी दी कि “BlueBird-6, जो अमेरिका से लाइसेंस प्राप्त उपग्रह है, 15 दिसंबर को भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने वाला है।”
उन्होंने बताया कि लॉन्च के बाद यह उपग्रह निम्न कक्षा (LEO) में कुल 2,400 वर्ग फुट का सबसे बड़ा वाणिज्यिक फेज्ड ऐरे (phased array) लेकर जाएगा। यह BlueBird 1-5 उपग्रहों की तुलना में 3.5 गुना बड़ा है और 10 गुना ज्यादा डेटा क्षमता रखेगा।
यह अमेरिका और इसरो के बीच दूसरा बड़ा सहयोग है। इससे पहले जुलाई में इसरो ने 1.5 अरब डॉलर कीमत वाले NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार मिशन (NISAR) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। यह उपग्रह धुंध, बादलों और बर्फ के अंदर तक पृथ्वी की सतह की उच्च-रिजॉल्यूशन स्कैनिंग कर सकता है।
इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया, “NISAR को 30 जुलाई को नासा, JPL और इसरो ने मिलकर तैयार किया। यह दुनिया का सबसे महंगा उपग्रह था, जिसे भारतीय रॉकेट GSLV द्वारा कक्षा में स्थापित किया गया।”
2,392 किलोग्राम वजनी NISAR हर 12 दिन में पृथ्वी की भूमि और बर्फीली सतह की उच्च गुणवत्ता वाली इमेजिंग करेगा। इसमें SweepSAR तकनीक का पहली बार उपयोग किया जा रहा है।
इस बीच, BlueBird-6 के लॉन्च की जिम्मेदारी इसरो की वाणिज्यिक इकाई NSIL संभाल रही है।
हाल ही में LVM3 ने 2 नवंबर को भारत के सबसे भारी CMS-3 (4.4 टन) उपग्रह को भी सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया था।
LVM3 एक तीन-चरण वाला लॉन्च वाहन है, जो 8,000 किलोग्राम तक का पेलोड निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में और 4,000 किलोग्राम तक का पेलोड भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) में ले जा सकता है।
