भोजपुरी फिल्म का हीरो जालसाजी में गिरफ्तार

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बरेली,रिपब्लिक समाचार,संवाददाता : फ्रॉड विनोद यादव पीलीभीत बाईपास पर इंडियन पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के नाम से फर्जी कॉलेज का संचालन किया करता था। गुरुवार को पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की दोनों टीमों ने छापा मारा तब खुलासा हुआ। वहीं विनोद यादव को लेकर भी कई तरह की खुलाशे की जानकारी मिली है।

बरेली में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की दोनों संयुक्त टीमो ने बन्नूवाल कॉलोनी में छापा मारकर फर्जी पैरा मेडिकल इंस्टीट्यूट का भंडाफोड़ कर दिया है,इंडियन पैरा मेडकल कालेज का मालिक विनोद यादव बहुत ही बड़ा फ्रॉड है। बहुत पहले वह चाय बेचता था, फिर विनोद ने मुंबई निवासी भोजपुरी फिल्म निर्माता सिकंदर खान के साथ मिलकर गुंडा नाम की फिल्म बनाया था। फिल्म बनाने में करीब 83 लाख रुपये का खर्च आया था।

चला रहा था फर्जी इंस्टीट्यूट

जिसमे निर्माता सिकंदर खान को 50 लाख रूपये विनोद यादव ने दिए थे। इस फिल्म में विनोद यादव खुद अभिनेता बना और फिल्म 2019 में पूरे देश में रिलीज भी की गई थी। फिल्म ने रिकार्ड कमाई किया था । बाद में रुपयों को लेकर विनोद यादव और निर्माता सिकंदर खान में झगड़ा हो गया था। विनोद यादव ने सिकंदर खान के खिलाफ दो वर्ष पहले बारादरी थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा दिया था।

बाद में फिल्म से कमाए हुए रुपयों से उसने फर्जी इंस्टीट्यूट खोल दिया । फिलहाल विनोद यादव को फर्जी पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट चलाने के जुर्म में दोस्त समेत गिरफ्तार कर लिया गया है। इंस्टीट्यूट तथा आसपास मिलने वाले लोगों को अपना नाम डॉ. वीके यादव बताया करता था। मुसीबत के दिनों में उसने सिविल लाइंस के एक प्रतिष्ठित बाल रोग विशेषज्ञ के यहां जूनियर डॉक्टर के तौर पर बच्चों का इलाज भी करता था।

विनोद यादव व भोजपुरी फिल्म के निर्माता सिकंदर खान के बीच विवाद बढ़ने और रिपोर्ट दर्ज होने के बाद फिल्म अभिनेता रजा मुराद बरेली आए थे। तत्कालीन आईजी राजेश पांडेय से मुलाकात किया था । रजा मुराद, राजेश पांडेय के बेहद करीबी मित्र हैं, इसलिए आईजी के हस्तक्षेप से पुलिस का दबाव कुछ कम हो गया था और बाद में यह प्रकरण सुलझ गया।

छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में

फर्जी इंस्टीट्यूट का भंडाफोड़ होने के बाद उसमें पढ़ रहे छात्र-छात्राओं का भविष्य अँधेरे में है। प्रेमनगर निवासी इंस्टीट्यूट का प्रिंसिपल जगदीश चंद्रा उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर का मूल निवासी है। वह उत्तराखंड के छात्रों का एडमिशन फर्जी इंस्टीट्यूट में कराता था और उनसे फीस के नाम पर बड़ी रकम वसूलता था।

फर्जी इंस्टीट्यूट बंद कराए जाने के बाद शुक्रवार को 50 से अधिक छात्र / छात्राओ कलक्ट्रेट पहुंचे। सभी छात्रों ने जिलाधिकारी को संबोधित एक ज्ञापन एसीएम फर्स्ट नहने राम को दिया । छात्रों का कहना था कि उन्हें पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के फर्जी संचालन की पहले जानकारी नहीं थी।

अब जानकारी मिली है, मगर वे वर्ष भर की फीस जमा कर चुके हैं। कोर्स के मुताबिक 80 हजार से लेकर दो लाख रुपये तक फीस जमा कराई गई है। उन्होंने जमा कराई गई फीस वापस कराने और किसी दूसरे पैरामेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाने की न्याय की गुहार लगाई है। इसके साथ ही, आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।

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