हांगकांग,एनएआई : चीन की विदेश नीति विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों की समझ से परे है। चीन देश के अंदर कई चुनौतियों से सामना कर रहा है, दूसरी तरफ चीन देश से बाहर खुद अपने लिए मुश्किलें खड़ी कर ली है। चीन फिलहाल कोविड-19 के प्रकोप से निकल रहा है , लेकिन ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं कि इस वर्ष के अंत तक चीन में कोविड संक्रमण फिर से नई मुसीबते फिर से आ सकती है ।
कोविड में छिपाए मौत के आकड़े
कोविड-19 संकट के इस कारण से आम चीनी लोग भले ही अपनी नौकरी बचाने और आर्थिक मुश्किलों से निकलने के लिए परेशांन है लेकिन चीन की विदेश नीतियां ऐसी हैं जो इसे अन्य देशों के खिलाफ खड़ी कर रही हैं या दुनिया में चीन की विश्वसनीयता खत्म हो रही हैं।
अमेरिका में चीनी गुब्बारे का मामला अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में चीन की इस ढ़ीठ प्रवृत्ति का प्रतीक है जिसमें चीन पहले चोरी करके फिर सीनाजोरी करने पर उतर आता है। कोविड संकट के दौरान डेटा छिपाकर चीन ने अपनी यही प्रवृत्ति दिखाई है। दुनिया के लिए यह तय करना मुश्किल है चीन द्वारा शून्य कोविड नीति बंद किए जाने के बाद कितने चीनी नागरिक वायरस संक्रमण से मारे गए हैं।
कई राजनितिक विश्लेषकों का कहना है कि चीन की लगभग 80 फीसदी आबादी कोविड से संक्रमित हुई और दस से पंद्रह लाख लोग मारे गए। उनका कहना है कि पश्चिमी देशों की तुलना में चीन की मृत्यु दर अधिक रही होगी, क्योंकि यहां हर्ड इम्युनिटी बिल्कुल नहीं थी और चीन के घरेलू टीके असरदार नहीं हैं।
शी जिनपिंग कोविड नीति पर हैं खामोश
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश की कोविड नीति पर खामोश हैं। ऐसा इसलिए है कि उनके पास इस समबन्ध में कहने के लिए कुछ नहीं है। 2020 से 2022 तक चीन ने कोविड नियंत्रण के लिए अरबों युआन खर्च किए। मात्र पीसीआर परीक्षण पर 29 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक रकम खर्च किया गया, लेकिन यह सारा खर्च बेकार रहा और देश को अभूतपूर्व कोविड संकट का सामना करना पड़ा। जोसेफ स्टालिन ने एक बार कहा था “एक व्यक्ति की मृत्यु त्रासदी है। एक लाख की मौत एक आंकड़ा है।”
जो बाइडेन से बिगाड़े रिश्ते
अगर अमेरिका के ऊपर उड़ने वाले चीनी गुब्बारे की बात करें तो चीन अमेरिका के एयरस्पेस का उल्लंघन कर रहा था। फिर भी चीन ने माफी मांगने या विवाद को खत्म करने की कोशिश करने के बजाय इस पर नाराजगी दिखाई कि अमेरिका ने उसका गुब्बारा नष्ट कर दिया। पश्चिमी देशों को कथित सबक सिखाने के लिए चीन यूक्रेन के विरुद्ध रूस की सहायता देने की कोशिश कर सकता है। यूक्रेन में तेजी से जीत हासिल करने में विफल रहा रूस अब बिल्कुल चीन पर निर्भर हो गया और चीन अमेरिका और पश्चिमी देशों के विरुद्ध ब्लॉक बनाने के लिए रूस का उपयोग कर सकता है।