दर्द की फोटो मत लीजिए साहब………………..

LUCKNOW-PHOTO

लखनऊ,अमित चावला : कृपया ऊपर छपी फोटो को देखें। यह एक दुर्घटना की तस्वीर है। एक घायल महिला को गाड़ी से खींचकर निकालने की कोशिश में पुलिसकर्मी व राहत कर्मी जुटे हैं, लेकिन इतना ही नहीं इस फोटो में एक और चीज देखने वाली है, जितने हाथ दुर्घटना से पीड़ित महिला की मदद में उठे हैं उससे कहीं ज्यादा हाथों में मोबाइल है, और वे लोग फोटो लेने और वीडियो बनाने में मशगूल है, बजाय इसके कि वे भी आगे बढ़ते और खुद भी बचाव कार्य में राहत कर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाते।

लखनऊ की है यह घटना

यह वाकया था राजधानी लखनऊ में 4 दिन पहले हुए हादसे का, जिसमें तेज आंधी के कारण एक बड़ी लोहे की होर्डिंग्स,ए्स यूवी गाड़ी के ऊपर गिर पड़ी थी, और गाड़ी में सवार मां बेटी की मौत हो गई थी। अब लेते हैं एक और घटना। कुछ महीनों पहले लखनऊ में ही भूकंप आया था जिसके बाद डाली बाग इलाके में ही एक जर्जर अपार्टमेंट गिर गया था। हाहाकार मचा हुआ था,कई लोग मलबे में दबे पड़े थे, जिनके परिजन बाहर थे अपनों की मदद के लिए विनती कर रहे थे।

पुलिस, प्रशासन के आने में समय लगता है उसमें भी लोग आगे बढ़कर बचाव कार्य शुरू कर देते तो शायद कई लोगों को सुरक्षित निकाला जा सकता था।घटनास्थल पर लोगों की भीड़ तो भरपूर थी, मददगार को ढूंढना पड़ रहा था। लोग मदद करने के बजाय फोटो,वीडियो बनाने में ज्यादा रुचि ले रहे थे।कुछ तो लाइव वीडियो कर रहे थे,मीडिया के लोगों की तो बात ही छोड़ दें, घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाला मीडिया मदद के नाम पर सबसे पीछे खड़ा नजर आता है या यूं कहें कि मीडिया वालों का पेशा उन्हें कवरेज पर फोकस करना ही सिखाता है, मदद करना नहीं।

किसी के दर्द को न बनाएं मजाक

हद तो तब हो जाती है जब विधानसभा के सामने कोई परेशान व्यक्ति आत्मदाह करने का प्रयास करता है तो मीडिया के लोग और जनता उसे रोकने के बजाय उसकी फोटो, वीडियो शूट करने को तत्पर हो जाते हैं, यह दिखाया जाए कि आग की लपटों से व्यक्ति कैसे जला और आग की लपटें कितनी ऊंची उठी, बहरहाल मदद के नाम पर हम ना तो मीडिया को दोष दे सकते हैं और न ही जनता को। लेकिन इतना तो कर ही सकते हैं कि भले ही किसी की मदद ना कर सके या ना करना चाहे पर उसके दर्द का मजाक तो ना बनाएं।

सोशल मीडिया ने अगर आपको बड़ी ताकत दी है तो उसका उपयोग अच्छाई दिखाने में करें ना कि किसी के दर्द की फिल्म बनाने में हां यह जरूर याद रखें या जो व्यक्ति परेशानी में है उसकी जगह आप होते या आपके परिवार का कोई तो क्या तब भी आप फोटो खींच रहे होते या वीडियो बना रहे होते ?

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