इस्लामाबाद,एनएआई : सालों तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का मजाक उड़ाने के बाद, पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद हुसैन ने मंगलवार को भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान 3’ की प्रशंसा की और इसे “मानव जाति के लिए ऐतिहासिक क्षण” बताया।
भारत को बधाई देते हुए, इमरान खान शासन के तहत पूर्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद हुसैन ने अपने देश से बुधवार शाम को चंद्रयान -3 की चंद्रमा लैंडिंग का प्रसारण करने का आग्रह किया।
फवाद हुसैन एक्स पर लिखा, “पाक मीडिया को कल शाम 6:15 बजे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग को लाइव दिखाना चाहिए… मानव जाति के लिए ऐतिहासिक पल , खासतौर से भारत के लोगों, वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष समुदाय के लिए…।” बहुत-बहुत बधाई।
2019 में फवाद हुसैन ने भारत के मून मिशन का उड़ाया था मजाक
फवाद हुसैन पूर्व पाकिस्तानी मंत्री द्वारा 2019 में चंद्रयान -2 मिशन के दौरान भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को बेहायी से ट्रोल करने के बाद आया है।
फवाद हुसैन ने दूसरे चंद्र मिशन पर ₹900 करोड़ खर्च करने पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर सवाल उठाया था और कहा था कि “किसी अज्ञात क्षेत्र में उद्यम करना बुद्धिमता नहीं है”।
चंद्र यान 2 मिशन के अंतिम चरण में फेल होने के बाद फवाद हुसैन ने अपने एक्स पोस्ट पर हैशटैग ‘इंडिया फेल्ड’ का भी इस्तेमाल किया था, जब विक्रम लैंडर का चंद्रमा से सिर्फ 2.1 किमी ऊपर जमीनी स्तर से संपर्क टूट गया था।
चंद्रयान 3 आज उतरेगा चांद पर
चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। भारत के ऐतिहासिक क्षण में लगभग 12 घंटे बचे हैं, लैंडर मॉड्यूल – विक्रम लैंडर – लैंडिंग के लिए चंद्रमा की जमी पर सही स्थान का पता लगाने का प्रयास कर रहा है।
यदि सब कुछ योजना के मुताबिक सफलतापूर्वक हुआ, तो भारत एक विशिष्ट सूची (elite list) में प्रवेश करेगा और संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के साथ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
लैंडिंग के पहले के 17 मिनट अहम्
चंद्रयान-3 का मकसद चंद्रमा पर सेफ और सॉफ्ट लैंडिंग करना है। लैंडिंग से पहले के 17 मिनट बेहद खास होंगे। वैज्ञानिकों ने बताया कि आखिरी 17 मिनट में क्या होगा।
दरअसल, किसी भी स्पेस मिशन के अंतिम क्षणों को लास्ट मिनट्स ऑफ टेरर कहा जाता है। चंद्रयान 3 के साथ भी ऐसा है, इस दौरान लैंडर चांद के ऑर्बिट से निकलकर जमी पर लैंडिंग करने का प्रयास करेगा।
इन अंतिम 15 मिनट में लैंडर खुद से ही काम करता है। इस प्रक्रिया में ISRO की ओर से कोई भी कमांड नहीं दिया जा सकता है। इस दौरान विक्रम लैंडर को सही समय, ऊंचाई और सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल कर लैंडिंग करनी होती है। यही कारण है कि इस समय को 15 Minutes of Terror कहा जाता है।