Ram Mandir : मैराथन रनर कार्तिक जोशी इंदौर से दौड़कर पहुंचे अयोध्या

KARTIK-JOSHI

इंदौर, संवाददाता : इंदौर के अल्ट्रा मैराथन रनर कार्तिक जोशी ने अयोध्या तक दौड़कर अपनी पूरी कर लिया है। कार्तिक जोशी ने 14 दिनों में 1008 किमी की दूरी तय कर लिया है। 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले वे वहां पहुंचना चाहते थे। गुरुवार को वे अयोध्या पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत किया गया । कार्तिक के साथ इस यात्रा में 19 वर्ष का भाई हिंमाशु जोशी और पिता ओम जोशी रहे। कार्तिक के साथ एंबुलेंस और पैरा मेडिकल टीम भी भेजी गई थी जबकि इसकी जरूरत नहीं पड़ी। कार्तिक ने पत्रकारों से बातचीत में इंदौर से अयोध्या के रोमांचक सफर के किस्से साझा किए…

रिकार्ड या नाम के लिए नहीं मैं आस्था के लिए दौड़ा
रास्ते में लोग मुझसे हमेशा यही पूछते थे कि आप रिकार्ड के लिए या फिर नाम के लिए दौड़ लगा रहे हैं तो मैं उन्हें हमेशा उन लोगो को यही जवाब देता था कि मैं सिर्फ प्रभु श्री राम के लिए दौड़ लगा रहा हूं। मेरे मन में उनके लिए अटूट आस्था है और यह दौड़ सिर्फ उन्हीं को सादर समर्पित है। रास्ते में मेरे पैर भी कई बार दर्द हुए और कई चोट भी लगी लेकिन मैं सिर्फ प्रभु राम को याद कर दौड़ता रहा और इतनी ठंड, वर्षा के बीच भी उन्होंने मेरी दौड़ पूरी करवाई।

लोगों के स्नेह और प्यार से मैं लेट हो गया

लोग पूरे रास्ते में मेरे साथ दौड़ते थे। कई जगह कड़ी ठंड और घने कोहरे में भी लोगों ने मेरे साथ दौड़ लगाई। पूरे रास्ते मेरा स्वागत किया गया। जगह-जगह लोगों का प्यार मिला। इतना स्वागत हुआ कि रन में भी ज्यादा समय लग गया। शुरुआत में हर दिन 70 किमी दौड़ रहे थे लेकिन अंतिम समय से पहले डेढ़ दिन की देरी होने लगी थी इसलिए हर दिन 72 किमी की दौड़ तय करना पड़ी। वहीं अंतिम समय पर भी मैं लेट होने लगा था इसलिए अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए मैंने लगातार 35 घंटे तक लगातार दौड़ लगाई और 195 किमी की दूरी तय किया ।

पशु पक्षी भी साथ थे
मेरे साथ नागरिक ही नहीं बल्कि पशु पक्षी भी साथ दौड़ लगाते रहे। गुना से निकलने के बाद रास्ते में एक कुत्ता मेरे साथ दौड़ने लगा और आठ किमी तक दौड़ता रहा। कहा जाता है कि कुत्ता अपना इलाका छोड़कर नहीं जाते हैं लेकिन वह मेरे लिए चमत्कार से कम नहीं था।

रास्ते भर लोग दान देते रहे
दौड़ के दौरान जहां भी स्वागत हुआ लोगों ने प्रभु श्रीराम के मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए रुपए दिए। मैंने अयोध्या पहुंचकर सभी लोगों से मिले रुपयों को दानपात्र में डाल दिया गया।

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