लखनऊ,रिपब्लिक समाचार,अमित चावला : श्री आनंदेश्वर महादेव धाम हरिहर नगर में चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी श्री राम कथा के सातवें दिन सीता के स्वयंवर में धनुष भंग और सीता विवाह का प्रसंग की कथा का वाचन हुआ सीता विदाई की कथा सुन श्रोताओं की आंखें नम हो गई। कथा व्यास श्री धाम अयोध्या से पधारे आचार्य श्री सन्तोष शुक्ला जी महाराज ने धनुष यज्ञ और सीता की विदाई का बड़े ही मार्मिक तरीके से वर्णन किया।
बड़ी संख्या में कथा सुनने आ रहे श्रद्धालु
उन्होंने बताया कि राजा जनक किस तरह अपनी बेटी की विदाई करते हैं। सीता की विदाई की कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। आंखों से आंसू बरबस ही बहने लगे। महाराज ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए बेटी की विदाई का समय बड़ा कठिन होता है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कथा ही केवल कथा है, बाकी सब व्यथा है। जीवन में प्राणी का भगवान से जुड़ना कथा है।
भाग्यशाली की परिभाषा बताते हुए कहा कि हनुमान जी बड़भागी हैं, जटायु परम बड़भागी और अहिल्या अतिशय बड़भागी हैं। इस दौरान स्वामी श्री ओंकार अवस्थी महाराज ने धीर धरो हे! महारानी, पूर्ण करो सब काज, विवाह संग विदाई है, मत हो प्रिय उदास… कैसे बेटी अवधपुरी में, सब दायित्व निभाएं, चिंता से मन व्याकुल है, रह रह मन घबराएं… गाकर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। महाआरती के बाद श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए राजेन्द्र द्विवेदी जी ने कहा कि हरिहर नगर में श्री रामकथा का यह आयोजन अनूठा है।
मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने आ रहे हैं। इससे हमारी विरासत आगे की पीढ़ी तक पहुंचती है। उन्होंने बताया कि सच्चा लोकतंत्र तो भगवान राम के राज में था। सभी की बात सुनी जाती थी। तभी तो समाज के निचले के पायदान के एक व्यक्ति की बात सुनकर मर्यादा पुरुषोत्तम ने अपनी पत्नी सीता को वनवास दे दिया। कथा समाप्त होने पर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरीत किया गया। इस अवसर पर मन्दिर कमेटी अध्यक्ष श्री उग्रसेन साही , जयप्रकाश तिवारी कोषाध्यक्ष दिग्विजय नाथ तिवारी सचिव अनिल मिश्रा शिवजीत सिंह श्री हरिओम मिश्रा जी राकेश तिवारी आर पी पांडेय सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।