Supreme court : मणिपुर हिंसा में जनहित याचिकाओं पर CJI की तल्ख टिप्पणी

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इंफाल, एनएआई : मणिपुर में इंटरनेट बहाल करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। राज्य सरकार ने कहा है कि स्थिति में बार-बार बदलाव किया जा रहा है। अभी इस आदेश पर अमल से मुश्किल बढ़ सकती है।

11 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पिछली बार कोर्ट के ध्यान में यह बात लाई गई थी कि पुलिस स्टेशनों से बड़ी संख्या में हथियार लिए गए थे। SC ने सॉलिसिटर जनरल से उस संबंध में की गई कार्रवाई की सीमा के बारे में पूछा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह मणिपुर हिंसा से जुड़े मामले पर कल 11 जुलाई को सुनवाई करेगा। इसके अलावा राज्य में इंटरनेट की बहाली की अनुमति देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मणिपुर सरकार की याचिका पर भी कल सुनवाई होगी।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मणिपुर हिंसा से संबंधित प्रकरण की सुनवाई करते हुए कहा कि उच्चतम नायलालय का इस्तेमाल मणिपुर में तनाव को और बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर हिंसा जनहित याचिकाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हम केवल राज्य द्वारा उठाए जा रहे कदमों की निगरानी कर सकते हैं और अगर अतिरिक्त उपाय किए जा सकते हैं तो कुछ आदेश पारित कर सकते हैं। लेकिन, हम कानून एवं व्यवस्था तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकते। सुरक्षा सुनिश्चित करना केंद्र, मणिपुर सरकार का काम है। बता दें, मणिपुर सरकार ने स्थिति पर नवीनतम स्थिति रिपोर्ट सौंपी, जबकि इस पर सुनवाई मंगलवार को फिर से शुरू होगी।

मणिपुर में पिछले दो माह से हिंसा की घटनाएं सामने आ रही है। इस वजह से राज्य में दो महीने से इंटरनेट पर भी बैन लगा हुआ है। इंटरनेट बैन के खिलाफ याचिकाओं पर मणिपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई किया था और आदेश दिया था की गृह विभाग मामलों के आधार पर इंटरनेट सेवा प्रदान कर सकता है।

10 जुलाई तक इंटरनेट बंद

विगत ही में राज्य सरकार ने इंटरनेट पर 10 जुलाई तक के लिए प्रतिबन्ध बढ़ा दिया था। जातीय समुदायों के बीच झड़प शुरू होने के बाद 3 मई को पहली बार पूर्वोत्तर राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद इंटरनेट की समय सीमा समय-समय पर वृद्धि होती रही।

3 मई को शुरू हुई थी राज्य में हिंसक झड़प
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए गया था। इसके बाद से ही राज्य में पहली बार हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा के करण अब तक 100 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है, और बहुत से लोग घायल होगये हैं। इसके अतरिक्त हजारों लोगों ने राहत शिविरों में शरण लिया है।

मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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