मथुरा,रिपब्लिक समाचार,शिव सिंह : एक किवदंती है कि सब जग होली, या ब्रज होला। होली की मस्ती में ब्रज होली के 40 दिन पहले ही मस्ती में डूब जाता है। कहीं पर लाठियों से होली खेली जाती है तो कहीं लड्डू होली खेली जाती है। कहीं फूलों की होली से खेली जाती है तो कहीं छड़ी से होली खेली जाती है, और दाऊजी में तो हुरंगा भी होता है।
घर-घर जाकर बजाया जाता है नगाड़ा
मांट क्षेत्र के गांव जाबरा में जिन परिवारों में मृत्यु हो चुकी है, उनके दरवाजे पर जाकर नगाड़े की थाप पर होली के रसिया गा कर शोक उठा लिया जाता है। गांव जाबरा में यह परम्परा वर्षों से मानते चले आ रहे है। शिवरात्रि से होली तक यह कार्यक्रम लगातार चलता रहता है। गांव में किसी भी कारण से कोई भी मृत्यु हुई हो, मृतक के परिवार के यहां नगाड़ा बजाया जाता है।
गांव के वृद्धों लोगो केर द्वारा होली के रसिया गा कर परम्परा को निभाया जाता है। नगाड़ा बजाकर गांव वालो को संदेश दिया जाता है कि जो भगवान को मंजूर था, वो तो हो गया। अब सब लोग मिल कर प्रेम से होली के त्योहार को मनाये । गांव की भाषा में त्योहार उठाना कहा जाता है। गांव के प्रह्लाद सिंह ने कहा कि सभी गांव के वृद्ध रात्रि में होली के रसिया गाते है और घर-घर जाकर नगाड़ा बजाया जाता है।
मांट में भी कुछ ऐसा ही है प्रचलन
होली में मांट क्षेत्र में भी इसी से मिलता कार्यक्रम होता है। यहां धुलेंडी के दिन कस्बे के बुजुर्ग होली के रसिया गाते हुए गुलाल लगाने उन परिवारों में जरूर जाते हैं, जिनमें पिछले एक साल में कोई मृत्यु हुई हो। उन परिवारों के साथ कुछ घंटे उनके साथ रहा जाता है, उन्हें रंग व गुलाल लगाने की भी परम्परा है। इस दौरान मौके पर केशरी सिंह, सुनील सिंह, , मानवेन्द्र , विनोद शर्मा , समेत क्षेत्र के अन्य लोग भी मौजूद रहे।