मऊ, संवाददाता : बुधवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो (आईसीएआर-एनबीएआईएम) ने किसानों के सशक्तिकरण और मृदा स्वास्थ्य को बढ़ाने व टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के प्रयास में “मिट्टी वंदन” नामक किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि सहायक महानिदेशक (पीपी एंड बी) डॉ. एस.सी. दुबे के द्वारा किया गया। इस दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में सोनी धापा खंडेलवाल गर्ल्स इंटर कॉलेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना और राम भजन पर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। गोष्ठी में लगभग 500 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में विविध विषयों समेत नवीन कृषि तकनीकों का व्यावहारिक प्रदर्शन के साथ एनबीएआईएम द्वारा विकसित माइक्रोबियल बायोइनोकुलेंट्स उपयोग के साथ बीज बायोप्रिमिंग का प्रदर्शन, ऑयस्टर मशरूम खेती और विपणन प्रक्रिया का प्रदर्शन और डीकंपोजर द्वारा कृषि अवशेषों का तेजी से अपघटन मुख्य आकर्षणों में शामिल रहे।
मुख्य अतिथि डॉ. दुबे ने ब्यूरो द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हुए माइक्रोबियल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी में कार्बनिक कार्बन बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। संस्थान के निदेशक डॉ. आलोक कुमार श्रीवास्तव ने किसानों को रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और उन पर निर्भरता कम करने पर जागरूक होने की बात कही।प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हर्ष वर्धन सिंह ने मृदा स्वास्थ्य और कृषक समुदाय की भलाई के बीच आंतरिक संबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “मिट्टी वंदन” प्रशिक्षण कार्यक्रम टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों के साथ किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।