मऊ, संवाददाता : आई.सी.ए.आर.-राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो, कुशमौर, मऊ में राजभाषा कार्यशाला एवं काव्य गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम संस्थान के निदेशक डॉ. आलोक कुमार श्रीवास्तव के आदेशानुसार तथा प्रशासनिक अधिकारी श्री रजनीश मीना के निर्देशन में संपन्न हुआ। इस आयोजन में आए सभी कवियों को अंगवस्त्र व स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया गया कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान के हिंदी अधिकारी डॉ. हर्षवर्धन सिंह के उध्बोधन से हुई, जिसमें उन्होंने हिंदी भाषा की महत्ता, उसके प्रचार-प्रसार एवं वैज्ञानिक संचार में उपयोगिता पर सारगर्भित विचार रखे।
निदेशक डॉ. आलोक ने कवियों और कवयित्रियों का किया स्वागत
इसके पश्चात संस्थान के निदेशक डॉ. आलोक कुमार श्रीवास्तव ने देश के विभिन्न जनपदों से पधारे कवियों और कवयित्रियों का स्वागत करते हुए कहा कि “हमारे संस्थान में प्रतिवर्ष ऐसी गोष्ठियाँ होती रही हैं, किंतु इस बार विभिन्न जनपदों के कवियों की भागीदारी से आयोजन की गरिमा और भी बढ़ गई है।” गोष्ठी का शुभारंभ देवरिया से पधारी शिक्षिका एवं कवयित्री गुनगुन गुप्ता “गुंजन” की सरस्वती वंदना से हुआ।
उन्होंने दांपत्य जीवन में सामंजस्य पर भावपूर्ण गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मन मुग्ध कर दिया। साथ ही समाज में फैली गंदगी पर उन्होंने एक जागरूकता गीत के माध्यम से संदेश दिया। इसके पश्चात प्रतापगढ़ से आईं अंतरराष्ट्रीय कवयित्री प्रीति पांडेय ने प्रेम की पवित्रता, नारी के समर्पण और सामाजिक सरोकारों पर आधारित अपने गीतों और मुक्तकों से श्रोताओं का मन मोह लिया। उनकी रचनाओं में भावनाओं की गहराई और सामाजिक चेतना का अद्भुत समन्वय देखने को मिला।
मऊ की धरती से जुड़े ओजस्वी कवि पंकज प्रखर ने वीर रस से सराबोर काव्य पाठ कर वातावरण में देशभक्ति की भावना भर दी। उन्होंने न केवल भारत माता की वंदना की, बल्कि स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण की बारीकियों को कविता के माध्यम से जीवंत कर दिया। गोष्ठी की सबसे विशेष और मनोरंजक प्रस्तुति रही । वाराणसी से पधारे प्रख्यात हास्य-व्यंग्य कवि डॉ. नागेश शांडिल्य की।
सुश्री शिवानी थापा ने कवियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया
उन्होंने हास्य के देवता शिवजी के स्मरण के साथ जैसे ही हास्य की पोटली खोली, पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। श्रोताओं को उन्होंने अपनी चुटीली रचनाओं से हँसी के समंदर में डुबो दिया। साथ ही कार्यक्रम का संचालन भी उन्होंने अत्यंत रोचक और प्रभावशाली ढंग से किया। इस कार्यकम में ब्यूरो के वैज्ञानिक, अधिकारी, कर्मचारी व बीज अनुसंधान से आए अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन संचालन कर रही सुश्री शिवानी थापा द्वारा सभी आमंत्रित कवियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार ज्ञापन के साथ हुआ।
इस साहित्यिक आयोजन ने न केवल हिंदी भाषा की महत्ता को रेखांकित किया, बल्कि विभिन्न रसों से परिपूर्ण रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को साहित्यिक रसास्वादन का अनुपम अवसर भी प्रदान किया।