नई दिल्ली, एजेंसी : उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश जज हिमा कोहली ने बुधवार को कहा कि सफेदपोश अपराध न्यायिक प्रणाली और आर्थिक व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इसके लिए बहुआयामी और सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
उच्चतम न्यायालय की जज ने ऐसे अपराधों को रोकने के लिए उन्नत तकनीकों के प्रयोग की वकालत की। जस्टिस हिमा कोहली बोली कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा एनालिटिक्स, और ब्लाकचेन जैसी उन्नत तकनीकों का प्रयोग करने से सफेदपोश अपराधों का पता लगाने, जांच करने और उन लोगो पर मुकदमा चलाने की क्षमता बढ़ेगी।
न्यायालय अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
जज कोहली ‘ न्यायिक दृष्टिकोण में आर्थिक अपराध और कारपोरेट दुराचार पर दूसरा संवाद’ कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। कोहली बोली कि सफेदपोश अपराध भारत की न्यायिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। मजबूत विधायी ढांचे और समर्पित संस्थागत तंत्र द्वारा समर्थित न्यायपालिका इन अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सफेदपोश और पारंपरिकअपराधों के बीच अंतर करते हुए जज कोहली बोली कि पारंपरिक अपराध अक्सर क्रोध या बदला लेने जैसी भावनाओं से उत्पन्न होते हैं या कभी-कभी पेशेवर अपराधियों की मदद लेकर बदला लेते हैं। इसके विपरीत, सफेदपोश अपराध लालच से प्रेरित होते हैं।
सफेदपोश अपराध प्रतिष्ठा को ठेस या वित्तीय नुकसान पहुंचाते हैं। पारंपरिक अपराधों के परिणामस्वरूप शारीरिक नुकसान और भावनात्मक क्षति होती है। जब कि, दोनों प्रकार के अपराधों का पीडि़तों और बड़े पैमाने पर समाज में गहरा असर पड़ता है।