लखनऊ,रिपब्लिक समाचार,संवाददाता : चिन्मय मिशन लखनऊ के तत्वावधान में आयोजित गीताज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस में अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में प्रवचन करते हुए स्वामी अभेदानंद जी, आचार्य चिन्मय मिशन, साउथ अफ्रीका, ने कहा कि विषयों के इन्द्रियों के साथ संयोग एवं सर्दी-गर्मी, सुख दुःख आदि अनित्य हैं एवं आने जाने वाले है, रुकने या ठहरने वाले नहीं हैं। अत: अर्जुन तुम उनकी तितिक्षा करो। तितिक्षा अर्थात् अप्रतिकारपूर्वक सहन करो।
हम थोड़े से भी प्रतिकूल स्थिति एवं द्वंदों मे विचलित हो जाते हैं, प्रतिक्रिया करने लगते हैं। भगवान कहते हैं कि अनित्य विविध परिवर्तनशील परिस्थितियां जीवन में आती जाती रहती हैं। हमारी मनस्थिति इतनी मजबूत होनी चाहिए कि किसी भी अनुकूल प्रतिकूल परिस्थिति में हमें सहज बना रहने चाहिए। यदि हम भजन, परमात्मा का ध्यान करते रहें तो परिस्थितियों हमें किञ्चित भी विचलित नहीं कर सकतीं।
परिस्थिति हमारे वश में नहीं है परन्तु उसका अनुभव कैसा लेते हैं। इसमें हम स्वतंत हैं। परशुराम जी अत्यंत क्रोध में आते हैं परन्तु रामजी की मनस्थिति परम शान्त है। रामजी से हमें यही सीखना है कि वनवास गमन हो या कोई भी प्रतिकूल परिस्थिति हो उसमे अपनी मन स्थिति को कैसे संतुलित रखें।
दि. ७ मई तक चलने वाले गीता ज्ञान यज्ञ मे आज पूज्य ब्रहमचारी कौशिक चैतन्य आचार्य लखनऊ सहित श्रीमती ऊषा गोविन्द प्रसाद, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष श्रीमती नीलम बजाज श्री मदन अग्रवाल, लक्ष्मी अग्रवाल, रमेश मेहता, विनीत तिवारी, सुनील नौडियाल आदि साधकों ने आध्यात्मिक ज्ञान यज्ञ में सम्मिलित हुए।