नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने नोबेल शांति पुरस्कार जीतने की तमाम कोशिशों के बावजूद वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता मारिया कोरिना माचाडो को प्राइज मिला। ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर फर्जी दावा और रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की नाकाम कोशिश की।
घोषणा के बाद पत्रकारों से बात करते हुए समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने बताया कि क्यों संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति को नजरअंदाज किया गया और संभवतः वे कभी भी पुरस्कार की दौड़ में शामिल नहीं थे।
क्या बोले समिति के अध्यक्ष ?
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इस समिति ने (हर) प्रकार के अभियान (और) मीडिया का ध्यान देखा है। हमें हर साल हजारों-हजार पत्र मिलते हैं जिनमें लोग बताते हैं कि उनके लिए शांति का मार्ग क्या है। लेकिन यह समिति एक ऐसे कमरे में बैठती है जहां सभी पुरस्कार विजेताओं के चित्र लगे हैं और वह कमरा साहस और निष्ठा से भरा है। इसलिए, हम अपना निर्णय केवल अल्फ्रेड नोबेल के कार्य और इच्छाशक्ति के आधार पर लेते हैं।”
पिछले वर्ष किसे मिला था यह पुरस्कार ?
नोबेल समिति ने माचाडो को एक ‘महत्वपूर्ण, एकीकृत व्यक्ति’ बताया है। पिछले वर्ष यह पुरस्कार जापान के निहोन हिडांक्यो को दिया गया था, जो 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिकी बमबारी में बचे लोगों का 69 वर्ष पुराना जमीनी स्तर का आंदोलन है, जो परमाणु हथियारों के उन्मूलन के लिए अभियान चला रहा है।