लखनऊ,संवाददाता : लखनऊ कोर्ट में पश्चिम यूपी के दुर्दांत अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या करने का आरोपी विजय यादव जौनपुर के गांव का रहने वाला है। वह जरायम की दुनिया में कैसे पहुंच गया , इस बात की जानकारी न तो गांव के लोगों को है और न परिवार ,न रिशतेदारो को कोई जानकारी है।
तीन वर्षो से मुंबई में था विजय यादव
लखनऊ के सिविल कोर्ट के अंदर पश्चिम यूपी के दुर्दांत अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की दिन दहाड़े न्यायालय में हत्या कर दिया। ह्त्यारोपि बदमाश विजय यादव 25वर्षीय जौनपुर के केराकत कोतवाली इलाके का रहने वाला है। आजमगढ़ जिले की सीमा से सटा सुल्तानपुर उसका पैतृक गांव है। बुधवार शाम को इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने की जानकारी मिलते ही गाववालो में चर्चा शुरू हो गई।
पुलिस ने उसके गांव में पहुंचकर पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली। पता चला कि विजय 2016 में एक लड़की के भगाने के मामले में कुछ महीने तक जेल में रहा है, जबकि अब उस मामले में सुलह समझौता हो चूका है। 2020 में उस पर महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ था।
आजमगढ़ जिले के देवगांव थाना क्षेत्र की सीमा से महज एक किमी पहले स्थित केराकत के सुल्तानपुर गांव निवासी श्यामा यादव के चार लड़को में विजय दूसरे स्थान पर है। परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक , बड़ा भाई दिल्ली में रहकर एक प्राइवेट कंपनी में कार्य करता है। विजय मुंबई में रहता था। वह जरायम की दुनिया में कैसे शामिल हुआ इसकी जानकारी न तो गांव वालो को है और न ही परिवार में किसी को कोई जानकारी। विजय के दो भाई छोटे पढ़ाई कर रहे हैं।
विजय मुंबई में एक पाइप बनाने वाली कंपनी में था कार्यरत
परिवार से मिली जानकारी के अनुसार विजय यादव मुंबई के एक पाइप बनाने वाली कंपनी में कार्य करता था। वहां से मार्च में घर आया। दो-तीन दिन के बाद ही बताया कि लखनऊ में कुछ कार्य है, वहां जाना है। वहां से 10 मई को मामा की बेटी की शादी में सम्मिलित होने के लिए गांव बीरमपुर, थाना केराकत आया था।
शादी में शामिल होने बाद 11 मई को लखनऊ चला गया, इसके बाद परिवार के किसी से संपर्क नहीं हो सका । उसकी मां निर्मला यादव ने कहा कि 15 मई को जब वह मायके गई थीं, तभी विजय यादव का फोन आया था, उसके बाद मोबाइल फोन स्विच ऑफ बताता रहा।
2012 में विजय ने हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। उसके बाद जौनपुर से इंटर और यहीं के मो. हसन पीजी कॉलेज से बीकॉम किया है। उस समय विजय के पिता श्याम यादव की देवगांव आजमगढ़ में मिठाई की दुकान है । दुकान पर विजय भी कभी कभार बैठता था। वहीं पर एक किशोरी से संपर्क हो गया और दोनों भाग गए।
विजय यादव पर पॉक्सो एक्ट का दर्ज हुआ था मुकदमा
किशोरी के परिजनों की तहरीर पर देवगांव थाने में ही पॉक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ, करीब तीन महीने के बाद मुंबई से पुलिस ने दोनों को बरामद किया। उसके बाद विजय को हवालात में रहा । विजय की मां निर्मला ने कहा की उस प्रकरण में करीब छह माह बाद वह घर आया था। अब सुलह हो चुकी है।
सर्किल अफसर केराकत गौरव शर्मा ने कहा कि अभी तक विजय यादव के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज़ हैं। पहला, आजमगढ़ के देवगांव में पॉक्सो एक्ट और दूसरा, 2020 में महामारी एक्ट के तहत केराकत में दर्ज किया गया था। फिलहाल कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। लखनऊ की टीम पूछताछ कर रही है। वहां से यदि कोई इनपुट मिलता है तो उसी के अनुसार आगे की कार्यवाही किया जायेगा ।