गोरखपुर,संवाददाता : आदित्या यादव ढाई साल की थी, जब पता चला कि वह न तो सुन सकती हैं और न ही बोल सकती हैं। आज वह बैडमिंटन सनसनी बन चुकी हैं। जी हां, सुनने में अचरज भरा लग सकता है, लेकिन यह हकीकत है। आदित्या यादव वर्ष 2022 में ब्राजील डेफ ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अंतरराष्ट्रीय फलक पर छा गईं। अब वह ब्राजील में 10 से 25 जुलाई के बीच होने वाले यूथ डेफ बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपना दमखम दिखाएंगी।
आदित्या यादव हैं बैडमिंटन खिलाड़ी
आदित्या यादव की सफलता में उनकी मेहनत तो है ही, उनके पिता दिग्विजयनाथ यादव का संघर्ष भी शामिल है। दिग्विजयनाथ खुद बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं और एनई रेलवे में बैडमिंटन कोच हैं। अपनी बेटी के बारे में बताते हुए वह भावुक हो गए। कहा कि आदित्या तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी है। जब वह ढाई वर्ष की हुई तब ज्ञात हुआ कि न तो वह बोल सकती है और न ही सुन सकती है। जब डॉक्टर ने जांच करने के बाद यह बात पिता को बताया तो वह सन्न रह गए। गोरखपुर के कई अस्पतालों में दिखाया, इसके बाद दिल्ली एम्स में भी बिटिया का इलाज कराया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
उन्होंने बताया कि इस बीच अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी राजीव बग्गा का ख्याल आया। बहुत चिंतन किया, सोचा कि अगर वह दिव्यांग होकर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन सकते हैं तो मेरी बेटी क्यों नहीं? बस यही टर्निंग प्वाइंट था। जब आदित्या चार साल की हुई तो उसे बैडमिंटन का प्रशिक्षण दिलाना शुरू करा दिया। उनके साथ ही वह रोजाना बैडमिंटन का प्रशिक्षण लेने लगी। इस बीच स्कूली शिक्षा चलती रहे, इसके लिए उसका प्रवेश राजेंद्र नगर स्थित मूक-बधिर विद्यालय में करा दिया।
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान जिला स्तर से शुरू करके स्टेट, नेशनल और अब इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में वह भाग लेते हुए मेडल जीतने लगी। तब लगा कि उनका फैसला सही था। जब पूरा देश उसके लिए तालियां बजाता है तो आंखों से खुशी के आंसू छलकते हैं। आदित्या, इस समय दिल्ली में प्रशिक्षण ले रही हैं। उनका सपना ओलंपिक में सिंगल में गोल्ड मेडल जीतने का लक्ष्य है ।