नई दिल्ली,एनएआई : दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में मंगलवार को धूल भरी आंधी चली। देख के कई राज्यों में मौसम ने फिर से करवट बदल लिया है। कहीं जमकर बारिश हो रही है तो कहीं कड़ी धूप और कहीं धूल भरी आंधी से लोग परेशान दिखे हैं। मंगलवार सुबह दिल्ली में तेज हवाएं चलीं, जिससे धूल उठी और हवा की गुणवत्ता प्रभावित हुई।
आईएमडी के अनुसार कि आगामी चार-पांच दिनों तक आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे और शाम तक हल्की बारिश से मामूली राहत मिल सकती है। रविवार तक अधिकतम 43 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ सकता है।
राजस्थान में आज का मौसम
राजस्थान के कुछ हिस्सों में पिछले 24 घंटों के दौरान हल्की से बारिश होने के बाद मंगलवार को अधिकतम तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज किया गया है । इसने अगले तीन दिनों के लिए कई जिलों में धूल भरी आंधी और आंधी के लिए “येलो अलर्ट” जारी कर दिया गया है । मौसम विभाग के मुताबिक अलवर,अजमेर, भरतपुर, बारां, बूंदी,भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, धौलपुर, दौसा, जयपुर, झालावाड़, करौली, झुंझुनू,कोटा, सवाई माधोपुर में धूल भरी आंधी चलने की सम्भावना है ।
बुधवार को मौसम में उतार चढ़ाव का क्रम जारी रहेगा। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार हल्के से मध्यम बादलों की आवाजाही बने रहने के आसार बने हुए हैं। अगले पांच दिनों में बादल छाए रहने के आसार हैं, लेकिन बारिश की कोई संभावना नहीं है। मंगलवार सुबह से ही तेज धूप का असरदेखा गया है ।
केरल में 4 जून को दे सकता है दस्तक मानसून
मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत में थोड़ी देरी होने का पूर्वानुमान व्यक्त करते कहा है कि इसके चार जून तक केरल में दस्तक देने की संभावना बनी हुई है। मौसम विज्ञानियों ने कहा कि मानसून में मामूली देरी से देश में कृषि और कुल वर्षा पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य तौर पर एक जून को केरल में प्रवेश करता है। इसमें आमतौर पर लगभग सात दिन की देरी या जल्दी होती है।
आइएमडी के अनुसार इस साल केरल में दक्षिण पश्चिम मानसून के आगमन में मामूली देरी होने की संभावना व्यक्त की गई है। दक्षिणी राज्य में मानसून पिछले वर्ष 29 मई को पहुंचा था। इसके अलावा 2021 में यह तीन जून और 2020 में एक जून को पहुंचा था। भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून का आगे बढ़ना केरल के ऊपर मानसून के सुरवात से प्रारम्भ होता है और यह एक गर्म और शुष्क मौसम से वर्षा के मौसम में बदलने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत है।