असल पहलवानों के दंगल में फंसे ‘सियासी पहलवान’ बृजभूषण सिंह,अब बचना आसान नहीं

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नई दिल्ली ,रिपब्लिक समाचार, प्रिया श्रीवास्तव : बृजभूषण सिंह……….आज ये नाम पूरे देश में घूम रहा है ..कभी राजनीति में अपने नाम का लोहा मनवाले वाले बृजभूषण सिंह आज बड़ी आफत में फंसे हुए हैं…..देश के पहलवानों ने उनको घेर लिया है …औऱ ऐसा घेरा है , जिससे निकलना मुमकिन नहीं लग रहा है …ये साल 2023 उनके सियासी जीवन के लिए सबसे बड़ी चुनौती लेकर आया है…जिसकी शुरूआत भी जनवरी से ही हो गई थी…

जब महिला पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक के साथ बजरंग पूनिया ने जंतर-मंतर पर धरना शुरू किया था ..ये धरना था भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ … जिनपर ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को कई मेडल दिला चुके पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था.. 21 जनवरी तक पहलवानों का ये धरना चला और फिर खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ मीटिंग के बाद एक जांच कमिटी बनी…इसके बाद रेसलर्स का धरना खत्म हुआ..लेकिन बृजभूषण सिंह की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुई ……बल्कि ये मुसीबत की नई शुरआत थी ।

तैयार हैं..यानी बृजभूषण सिंह-

बीते 23 अप्रैल को एक बार फिर ये शांत तूफान बवंडर में बदल गया और एक बार फिर विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जंतर-मंतर पर बैठ गए…और आरोप लगाया गया कि सरकार ने जो जांच कमिटी बनाई, उसकी रिपोर्ट के चार हफ्ते में आनी थी…लेकिन अब इंतजार करते-करते तीन महीने बीत गए हैं, लेकिन उनके साथ न्याय नहीं हुआ..अब ये मामला देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. सीजेआई ने अब इस मामले में दाखिल याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि पहलवानों के आरोप बेहद गंभीर हैं. इसलिए वो अर्जी सुनने के लिए तैयार हैं..यानी बृजभूषण सिंह के चार दशक के करियर की सबसे बड़ी चुनौती अब सामने है. अदालत का एक फैसला बृजभूषण सिंह के सियासी सफर पर पानी फेर सकता है ..और सियासी पहलवान के सारे दांवों को मिट्टी में मिला सकता है ।

बृजभूषण सिंह का सियासी सफर मायने इसलिए भी रखता है क्योंकि वो दाऊद, CBI, टाडा और तिहाड़ जेल जैसे कई मुद्दो को पार करके आराम से निकल आए है ….बड़े बड़े नेताओं को चुनौती वो आसानी से दे देते थे…लेकिन आज पहलवानों के दंगल में फंस गए है … एक समय था,जब बृजभूषण सिंह ने मायावती को भी सरेआम चुनौती दी थी… गोंडा जिले के जयप्रभाग्राम में मायावती का एक कार्यक्रम चल रहा था.. कार्यक्रम समापन की ओर था तभी मायावती को एक स्लिप थमाई गई..मंच से मायावती ने ऐलान किया- “मैं गोंडा जिले का नाम बदलकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण नगर करती हूं”..

नाम बदलने नहीं दूंगा

बृजभूषण शरण सिंह ने उस वक्त की सीएम मायावती से इस घोषणा पर ऐतराज जताया और कहा कि “मेरे शरीर में खून का जब तक एक कतरा है गोंडा का नाम बदलने नहीं दूंगा”.गोंडा का नाम ना बदले इसके लिए बृजभूषण सिंह ने पदयात्रा तक निकाली …जिसका नतीजा ये हुआ कि अटलजी के एक फोन के बाद मायावती ने फैसला वापस ले लिया…ऐसे ही साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कई चुनौतियों को पार करके बृजभूषण सिंह ने रिजवान जहीर को हराकर लोकसभा से बाहर किया था..

हली बार सांसद बनते ही बृजभूषण के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई। बृजभूषण सिंह पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी से संबंधों का आरोप लगा और टाडा लगा जिसके बाद वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रहे . इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद एक चिट्ठी लिखकर बृजभूषण का हौसला बढ़ाया था…इसके बाद बाबरी विध्वंस और बल्लीपुर गोलीकांड में भी वो आसानी से बरी हो गए ।

यानी कि देखा जाए तो आजतक की बड़ी चुनौतियों से भी बृजभूषण निकलते आए है …लेकिन इसबार की चुनौती ना केवल उनकी सियासत के लिए भारी है बल्कि उनके व्यक्तित्व पर भी एक सवाल खड़ा कर रही है …इस बार आरोप कार्यशैली पर नहीं चरित्र पर लगे हैं ….पहलवानों के इस दंगल से बृजभूषण सिंह सही सलामत निकल पाते हैं या नहीं ये वो वक्त ही बताएगा ,लेकिन ये चुनौती बृजभूषण सिंह के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है ..इस बात में कोई शक नहीं है।

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