Republic Samachar- Samarth Singh II चीन ने अपने सैन्य अभ्यास के दूसरे दिन ताइवान और उसके आसपास के जल क्षेत्र में प्रमुख लक्ष्यों के खिलाफ सटीक हमले करने का सिमुलेशन किया।
बीजिंग ने ताइवान के खिलाफ इस रुख को एक ‘कड़ी चेतावनी’ कहा है, जो ताइवान के राष्ट्रपति की पिछले सप्ताह अमेरिका यात्रा का जवाब है।
चीन का युद्ध अभ्यास
चीन ने ताइवान के पास हाल के वर्षों का सबसे बड़ा युद्ध अभ्यास शुरू किया है। इस ड्रिल में चीनी विमानों और युद्धपोतों ने ताइवान को घेर लिया और हमले का एक सिमुलेशन बनाया। इस सिमुलेशन में ताइवान की प्रमुख ठिकानों का अंकन किया गया और उन पर हमला करने के तरीकों को अज़माया गया।
ताइवान ने कहा कि कम से कम 71 चीनी जेट विमानों ने शनिवार को द्वीप के चारों ओर उड़ान भरी।
ताइवान ने यह भी कहा कि 45 युद्धक विमानों ने ताइवान स्ट्रेट को पार किया और कुछ विमानों ने ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से के अंदर उड़ान भरी।
ताइपे में रक्षा अधिकारियों ने शनिवार को बीजिंग पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्रपति साई की अमेरिका यात्रा का बहाना बना कर यह सैन्य अभ्यास कर रहा है, जिसने ताइवान क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा को गंभीर रूप से कमजोर किया है।
युद्ध अभ्यास पर अमेरिका की प्रतिक्रिया
अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों ने चीन से राष्ट्रपति साई की अमेरिका यात्रा का फायदा नहीं उठाने का आग्रह किया है और ‘संयम बरतने और यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं करने’ का आह्वान किया है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका बीजिंग की गतिविधियों पर करीब से नजर रख रहा है और जोर देकर कहा कि अमेरिका के पास शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त संसाधन और क्षमताएं हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडन ने कई मौकों पर कहा है कि अगर चीन ने द्वीप पर हमला किया तो अमेरिका हस्तक्षेप करेगा, लेकिन अमेरिकी संदेश अस्पष्ट रहा है। कैलिफोर्निया में बुधवार की बैठक में साई ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर केविन मैकार्थी को अमेरिका के ‘अटूट समर्थन’ के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि “इससे ताइवान के लोगों को आश्वस्त करने में मदद मिली कि हम अलग-थलग नहीं हैं और हम अकेले नहीं हैं”।
ताइवान को क्यों हथियाना चाहता है ड्रैगन
चीन का दावा है कि ताइवान उसका क्षेत्र है कोई स्वतंत्र राष्ट्र नहीं। चीन सभी देशों से उनकी “एक चीन नीति” को स्वीकार करने का आग्रह करता है, जो कहती है कि दुनिया में केवल एक चीन है और हांगकांग एवं ताइवान दोनों उसके अभिन्न अंग हैं। हालांकि ताइवान दशकों पहले चीन से स्वतंत्र हो गया था लेकिन फिर भी चीन ताइवान की स्वतंत्रता को स्वीकार नहीं करता है और किसी भी कीमत पर ताइवान को फिर से जीतना चाहता है।
चीन की इस दृढ़ ज़िद्द से एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक बड़ा युद्ध हो सकता है, साथ ही यह युद्ध एक वैश्विक मोड़ ले सकता है यदि अमेरिका इसमें शामिल हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप तीसरा विश्व युद्ध होसकता है।