नई दिल्ली,एनएआई : जलवायु परिवर्तन की समस्या लगातार गंभीर होती चली जा रही है। कहीं सूखा और कहीं बाढ़ की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इन्हें लेकर पूरी मानवता को सतर्क रहने की आवश्यकता है। सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने के कारणों से जुड़े नवीनतम अध्ययन में मिले निष्कर्ष इस गंभीरता की ओर इशारा कर रहे हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से ली गई प्राचीन चट्टानों के अध्ययन से पता चला है कि लगातार और बहुत लंबे समय तक सूखा पड़ने के कारण वह सभ्यता नष्ट हुई थी।
4,200 वर्ष पूर्व सिंधु घाटी वाले क्षेत्र में सूखा पड़ना हुआ था आरम्भ
अध्ययन में ज्ञात हुआ है कि करीब 4,200 वर्ष पहले सिंधु घाटी सभ्यता वाले क्षेत्र में सूखा पड़ना आरम्भ हुआ था। सूखे का यह दौर करीब 200 वर्षो तक चला। विज्ञान पत्रिका कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरमेंट में प्रकाशित अध्ययन में तीन बड़े सूखे का उल्लेख किया गया है। सूखे के ये दौर 25 वर्ष से 90 वर्ष तक चले थे। तीसरा सूखा कई पीढ़ियो तक चलता रहा कि जिससे कई पीढ़ियां प्रभावित हो गई ।
इस अध्ययन से उन निष्कर्षों को पुष्ट किया है, जिनमें कहा गया है कि सिंधु घाटी सभ्यता के खत्म होने में जलवायु परिवर्तन की अहम् भूमिका थी। जबकि अब तक इस बात के साक्ष्य नहीं मिले थे कि सूखा कितने समय तक पड़ा। शोधकर्ताओं की अनुसार यह अतिरिक्त जानकारी जलवायु परिवर्तन को अपनाने की दिशा में लोगों के प्रयासों को समझने में सहायक होगी।
शोध से जुड़े रहे ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज के प्रोफेसर कैमरन पेट्री के अनुसार कि प्रमाण दिखा रहे हैं कि लोगों ने 200 वर्षो से ज्यादा समय तक स्वयं को बदली जलवायु की परिस्थितियों में ढालने का प्रयास किया गया । इस दौरान बड़े और ज्यादा आबादी वाले शहर छोटी आबादी वाली बसावटों में बदल गए। खेती और फसलों में भी बदलाव किया गया। जबकि समय के साथ उनके लिए उस जलवायु परिवर्तन के कारण आए प्राकृतिक संकट को संभालना संभव नहीं रह गया।