नई दिल्ली,एनएआई : सुप्रीम कोर्ट में आज एक याचिका दायर की गई है। यह याचिका दोषी ठहराए जाने के बाद निर्वाचित विधायी निकायों के प्रतिनिधियों को स्वत: अयोग्य ठहराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका में जनप्रतिनिधियों के अधिनियम की धारा 8(3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
याचिका में क्या कहा गया
याचिका में यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि धारा 8(3) के तहत जन प्रतिनिधियों को दोषी पाए जाने के बाद उन्हें स्वतः अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता और पीएचडी विद्वान आभा मुरलीधरन द्वारा दायरकी गई याचिका में धारा 8 (3) के तहत स्वत: अयोग्यता की घोषणा करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है और इसे मनमानइ ढंग से अवैध होने के लिए संविधान के अति-विशिष्ट घोषित किया जाना चाहिए।
वकील दीपक प्रकाश के माध्यम से दायर याचिका में शीर्ष अदालत में कहा गया है कि वह यह घोषणा करने के लिए दिशा निर्देश जारी करे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (जो मानहानि का अपराध है) या दो साल की अधिकतम सजा निर्धारित करने वाला कोई अन्य अपराध किसी भी विधायक के किसी भी मौजूदा सदस्य को स्वचालित रूप से अयोग्य नहीं ठहराएगा। क्योंकि यह किसी निर्वाचित प्रतिनिधि के बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
जन प्रतिनिधि कानून, 1951 में व्यवस्था की गई है कि यदि किसी जन प्रतिनिधि को किसी मामले में दो साल या इससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा सजा पूर्ण होने के छह साल तक वह चुनाव नहीं लड़ सकेगा। किसी मौजूदा सदस्य के मामले में तीन महीने की छूट दी गई है।
राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द
जबकि कि सूरत की एक अदालत द्वारा राहुल गांधी को मोदी सरनेम प्रकरण में दोषी ठहराया गया है।जबकि मानहानि के मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा दो वर्ष की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। जबकि , उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति देने के लिए 30 दिन की जमानत दी गई है। वहीं, राहुल ने अपनी अयोग्यता पर प्रतिक्रिया देते हुए हिंदी में ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि ”मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं और कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं।”