Republic Samachar- Samarth Singh II फरवरी के महीने में कश्मीर में लिथियम जमा पाया गया था। यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी अच्छी खबर थी और सभी को उम्मीद थी कि लिथियम के पाए जाने से हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
लेकिन अयस्क खनन के बाद लिथियम प्राप्त करने की प्रक्रिया एक बहुत ही जटिल कार्य है। इसलिए चिली ने रुचि दिखाई है कि वह लिथियम के खनन की प्रक्रिया में भारत के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है।
चिली है लिथियम के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक
चिली में दुनिया के सबसे अधिक लिथियम रिजर्व हैं। दुनिया का 48 प्रतिशत से अधिक लिथियम भंडार चिली में है। चिली एसक्यूएम (SQM) का घर भी है, जो इस धातु के उत्पादन में अग्रणी कंपनी है। चिली के पास भंडार से धातु उत्पादन का एक शानदार अनुभव है इसलिए वह लिथियम प्राप्त करने में भारत के लिए बहुत प्रभावी हो सकता है।
को लेकर चिली के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
चिली के विदेश मंत्रालय के महासचिव एलेक्स वेटजिग ने कहा, “अगर भारत सरकार औपचारिक रूप से कुछ भी शुरू करती है तो हम भारत के साथ साझेदारी के लिए तैयार हैं”।
उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय में अपने भारतीय समकक्षों के साथ बैठकें भी कीं और साझेदारी का प्रस्ताव रखा। उन्होंने आगे कहा, “वर्तमान में हमारे पास माल के व्यापार पर समझौता है। हम एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते में सेवाओं और निवेश को जोड़कर अपने आदान-प्रदान में सुधार करना चाहते हैं। हम सभी बाजारों के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं, विशेष रूप से भारत सहित एशिया प्रशांत क्षेत्र में”।
चिली दे सकता है भारत को अपनी कारगर टेक्नोलॉजी
एलेक्स विट्जेग ने संकेत दिया कि चिलीखनन विशेषज्ञों और एसक्यूएम जैसी कंपनियों की विशेषज्ञता आयन बैटरी के एक महत्वपूर्ण घटक सफेद क्षार धातु के उत्पादन में मदद करने के लिए अपनी टेक्नोलॉजी देने को तैयार है।
भारत से पहले इन देशों की करी चिली ने मदद
भारत से पहले चिली ने ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों की लिथियम उत्पादन में मदद करी है, परिणाम स्वरुप आज ऑस्ट्रेलिया दुनिया के सबसे अधिक लिथियम उत्पादन करने वाले देशों में से 1 है। अगर चिली भारत का भी ऐसे ही साथ देता है तो यह भारत के भविष्य के लिए बहुत ही अच्छा साबित होगा।