कम या ज्यादा वोटिंग से किसे फायदा और किसे नुकसान?

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Republic Samachar || आज उत्तर प्रदेश के नौ जिलों की 55 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान हुआ। इन सीटों पर इस बार लड़ाई काफी कड़ी होने वाली है। अमरोहा, बरेली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, सहारनपुर, बिजनौर, संभल, रामपुर और बदायूं जिले में पड़ने वाली इन 55 सीटों पर कुल 586 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर है।

दूसरे चरण का मतदान उत्तर प्रदेश की 55 विधानसभा सीटों पर हुआ। इस बीच राजनीतिक गलियारों में मतदान प्रतिशत को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। यह चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि दो दिन पहले योगी सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर अपनी विधानसभा सीट मुजफ्फरनगर के थाना भवन के 40 बूथों पर दोबारा मतदान कराने की मांग की थी। हालांकि, जिलाधिकारी ने उनकी मांग को ठुकरा दिया है।

राणा जिन 40 बूथों पर फिर से मतदान करना चाहते हैं, वे मुस्लिम बहुल इलाकों में हैं। इन बूथों पर इस बार 70 से 90 फीसदी वोट पड़े हैं। वहीं हिंदू बहुल बूथों पर पिछली बार की तुलना में इस बार मतदान में गिरावट दर्ज की गई है। यह पहला कदम था। अब बात करते हैं दूसरे चरण की। इस चरण में नौ जिलों में करीब 40 सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं। इसलिए हर कोई यह जानना चाहता है कि इन इलाकों में वोटिंग घटने या बढ़ने से किसे फायदा होगा?

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