लखनऊ,रिपब्लिक समाचार,अमित चावला : श्री श्री आनन्द धाम, विकास नगर में चल रहे गीता ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चतुर्थ दिवस मे प्रवचन करते हुए पूज्य बहाचारी कौशिक चैतन्य, आचार्य, चिन्मय मिशन ने राजविद्याराजगुरु नामक नवें एवं विभूति योग नामक दसवें अध्याय पर कहा कि भगवान कहते हैं अर्जुन तुम अपना मन मुझमें लगाकर मेरा भक्त बन मेरा पूजन एवं नमस्कार कर इस प्रकार आत्माको मुझमें लगाकर मेरे आश्रित होकर मुझको ही प्राप्त होगे। भगवान कहते हैं संसार मे शरीर से रहो परन्तु मुझे तुम्हारा मन चाहिए। संसार में एक ही शिकायत रहती है कि उनके लिये समय नहीं देते हैं। परन्तु परमात्मा कहते हैं शरीर से तुम कुछ भी कार्य करो, कहीं भी रहो मुझे कोई शिकायत नहीं है लेकिन मन से हमेशा मेरा स्मरण करते रहो।
जो अनन्यता के साथ एवं निष्काम भाव से मेरा नित्य युक्त हो कर पूजन करता है उसका योग क्षेम का निर्वहन में करता हूं। योग अर्थात जो प्राप्त करना चाहता है वह मिल जाए और क्षेम अर्थात जो प्राप्त है उसको रक्षा हो, वह बिछड़ न जाए, नष्ट न है। भगवान कहते हैं अर्जुन तुझ अतिशय प्रेम करने वाले की हितकामनासे बताता हूं कि मेरी लीला को कोई नहीं जानता परन्तु जो मुझको अनंत अनादि और लोकों का महान ईश्वर तत्व से जानता है, वह ज्ञानवान पुरुष संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है। मनुष्यों में दैवी संपदा मुझसे ही प्राप्त होती हैं। निरन्तर प्रेमपूर्वक भजन करने वाले भक्त जो मेरा ध्यान करते हैं, उनको मैं बुद्धियोग देता हूं जिससे वे मुझको ही प्राप्त होते हैं।
आज के प्रवचन में आनन्दधान के पूज्य गुरुजी, पूज्या गुरु मां, श्रीमती ऊषा गोविंद प्रसाद अध्यक्ष चिन्मय मिशन, सुनीता सिंहजी, पीयूष जी आदि उपस्थित रहे । गायक अरविंद पाठक जी, श्री गोविंद पाठक जी तबला पर एवं आचार्य पं. देवेश जी ने स्वस्तिवाचन किया