12 मई : अन्तर्राष्ट्रीय उपचारिका (नर्सेस) दिवस

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लखनऊ,रिपब्लिक समाचार,अमित चावला : अन्तर्राष्ट्रीय उपचारिका (नर्सेस) दिवस या यू कहे कि सेवा को समर्पित इस महान दिवस की शुरूआत इन्टरनेशनल कॉउसिंल ऑफ नर्सिग सन् 1974 में की थी तभी से दिनांक 12 मई को प्रत्येक वर्ष को सम्पूर्ण विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय उपचारिका (नर्सेस) दिवस मनाया जाता है। इसी के उपलक्ष्य में विवेकानन्द पॉलीक्लिनिक एवं आयुर्विज्ञान संस्थान के सेन्ट्रल हॉल में अत्यन्त भव्यता एवं पारम्परिक विधि से मनाया गया।

गणमान्य अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन

कार्यक्रम की शुरूआत संस्थान के सचिव श्रीमत् स्वामी मुक्तिनाथानंद जी महाराज, अस्पताल अधीक्षक डा0 राजेश ओझा, नर्सिग एडमिनिसट्रेटर आदरणीय शान्तीमई जी, नर्सिग कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती थंगम शीला रोशलीन, सहयक उपचारिका अधीक्षक सुश्री गंगा पोटाई, ओ0टी0 मेट्रन कल्याणी मुखर्जी व इन्फेक्शन कन्ट्रोल नर्स श्री सी0एम0 पाण्डेय, श्री हरगोविन्द द्वारा द्वीप प्रज्जवलन व उपचारिकाओं के वैदिक मंगलाचरण के साथ हुआ। उस दौरान गणमान्य अतिथियों समेंत संस्थान की शिक्षिकायें, उपचारिकायें एवं प्रशिक्षु उचारिकायें मौजूद थी।

कार्यक्रम में पधारें गणमान्य अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन नर्सिग कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती थंगम शीला रोशलीन ने किया। विवेकानन्द कॉलेज ऑफ नर्सिग की श्रीमती पूर्ती सिंह ने अपने स्वागतीय भाषण में उपस्थ्ति गणमान्य अतिथियों समेंत संस्थान की शिक्षिकायें, उपचारिकायें एवं प्रशिक्षु उचारिकाओं को नर्सेस दिवस की हार्दिक बधाईयाँ दी। साथ ही साथ प्रबन्धन द्वारा इस आयोजन के लिए भूरि-भूरि प्रसंशा की।

इस अवसर पर विवेकानन्द कॉलेज ऑफ नर्सिग की प्रधानाचार्या श्रीमती थंगम शीला रोशलीन ने अपने विषय प्रवेश में कही कि मरीजों की देखभाल में समानता होनी चाहिये और साथ ही साथ उपचारिका सेवा में अन्तर विभागीय समरसता होनी चाहिये। साथ ही साथ यह भी सलाह दी कि मरीज की देखभाल में अभ्यास कुशलता, गुणवत्ता एवं सुरक्षा का ध्यान देते हुये करनी चाहिए। ताकि जब भी मरीज अपने घर जाये पुरी तरह से संतुष्ट व अच्छे स्मरण को संजोये हो।

नर्सिग दिवस का विषय : ’’हमारी नर्से”

सुश्री गंगा पोटाई, सहायक नर्सिंग अधीक्षक ने इस वर्ष के नर्सिग दिवस का विषय : ’’हमारी नर्से। हमारा भविष्य’’ के बारे में नर्स दिवस के महत्व पर एक व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस आधुनिक नर्सिंग की प्रणेता फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर मनाया जाता है और यह एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि यह दिन नर्सिंग के पेशे के योगदान और चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। इतना ही नही यह नर्सों के अथक परिश्रम को स्वीकार करने का अवसर है। आज के दिन वर्ष भर नर्सों द्वारा जो कार्य किया जाता है जिससे उन्हें अपने पेशे पर गर्व करने का अवसर देता है।

उन्होंने इस प्रसंग में यह भी कहा कि मौजूदा समय में यह स्वास्थ्य सेवा दुनिया में सबसे बड़ा सेवाक्षेत्र है और जिस क्षेत्र में भी स्वास्थय सेवा प्रदान की जाती है उसमें सबसे अहम् उद्देश्य मुस्कानयुक्त व गुणवत्तायुक्त सेवा प्रदान कर सभी के स्वास्थ्य की देखभाल कराना है। इस अवसर पर संस्थान के सचिव श्रीमत् स्वामी मुक्तिनाथानंद जी महाराज ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उपस्थित नर्सो को प्रेरक भाषण देते हुये कहा कि नर्सेस किसी भी संस्था की रीढ़रज्जू होती है जो मरीजों को उनके बीमारी से लड़ने में ताकत प्रदान करती है ताकि वे अपनी लड़ाई में बचे रहें।

एक फरिश्ते के समान होती है नर्स

नर्स एक फरिश्ते के समान होती है वे नवजात बच्चे के जन्म के समय उसकी ऑखें खोलने एवं मरे हुए व्यक्ति की सौम्यता से ऑख बन्द करने की भी साक्षी होती हैं। उन्हें आवश्यकता है सर्वश्रेष्ठ आर्शीवाद की, क्योंकि एकमात्र वहीं है जो जीवन की शुरूआत एवं खत्म होने की गवाह होती हैं। उन्होंने यह भी का कि अगर नर्सो ने मरीजों को जीता जागता नारायण रूप में देखे तब उनकी सेवा पूजा में रूपान्तरित जो जाता है जिसके लिए नर्सों का आध्यात्मिक जीवन सफल होता है।

तत्पश्चात स्वामी मुक्तिनाथान्दजी महाराज द्वारा चयनित नर्सिग स्टाफ एव प्रशिक्षु उचाचरिकाओं को पुरस्कार वितरण किया गया। संस्थान के सहायक नर्सिंग मैट्रन सुश्री पूनम एवं श्री हरगोविंद ने अन्तर्राष्ट्रीय उपचारिका (नर्सेस) दिवस पर अपने नर्सिग जीवन से जुड़ी रोचक अनुभवों को साझा किया। तदुपरान्त प्रहसन/भाषण चुने हुये प्रतिभागीयों द्वारा दिया गया।

अन्त में धन्यवाद ज्ञापन विवेकानन्द कॉलेज ऑफ नर्सिग की प्रोफेसर डा0 अर्जिता ने संस्थान के सचिव व अन्य गणमान्य अतिथियों को इस कार्यक्रम को सफल बनाने एवं आयोजन हेतु धन्यवाद दिया।

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