नई दिल्ली,रिपब्लिक समाचार,ब्यूरो : भारत दुनिया का सबसे अमीर देश नहीं है, लेकिन यहां कर संग्रह बहुत अधिक है। ऐसे में आयकर की दर को मौजूदा दर करीब 40 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किया जाना चाहिए। अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला के अनुसार, आर्थिक वृद्धि की गति को और तेज करने के लिए कर की दरो में कमी करना बहुत जरूरी है।
सुरजीत भल्ला कहा, हम दुनिया में बहुत अधिक वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था हैं। यदि आप भारत में कर संरचना को देखते हैं, तो करों का संग्रह बहुत अधिक है। अर्थशस्त्री सुरजीत भल्ला ने कहा कि केंद्र और राज्य, स्थानीय निकायों का कर संग्रह भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का करीब 19 प्रतिशत है। इसे दो प्रतिशत कम करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। वर्ष 2022-23 में19.6 लाख करोड़ का कर संग्रह हुआ, 20 फीसदी ज्यादा।
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सुरजीत भल्ला के अनुसार , जहां तक प्रत्यक्ष करों का संबंध है, तो हमारी कॉरपोरेट करो की दर 25 प्रतिशत है। मुझे लगता है कि कुल कर की दरे भी 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। सुरजीत भल्ला ने कहा, समाज के एक ख़ास वर्ग को लाभ पहुंचाने की जगह करों को सबके लिए घटाने की जरूरत है। वर्ष 2022-23 में भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.68 लाख करोड़ पहुंच गया जो की 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया ।