पाकिस्तान : पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो की भतीजी फातिमा का निकाह

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कराची, एनएआई : पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की पोती और बेनजीर भुट्टो की भतीजी फातिमा भुट्टो का कराची में निकाह समपन्न हुआ। फातिमा के भाई जुल्फिकार अली भुट्टो द्वारा शेयर की गई जानकारी के मुताबिक , मुर्तजा भुट्टो की बेटी फातिमा भुट्टो का निकाह कराची के 70 क्लिफ्टन स्थित परिवार के आवास पर संपंन्न हुआ।

फातिमा के भाई ने दी निकाह की जानकारी

फातिमा के भाई ने ट्वीट में कहा, “हमारे शहीद पिता मीर मुर्तजा भुट्टो एवं भुट्टो परिवार की तरफ से मुझे एक खुशखबरी आप लोगो देते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है। मेरी बहन फातिमा और ग्राहम की शादी कल हमारे घर 70 क्लिफ्टन में एक निकाह समारोह में हुई थी।”

निकाह समारोह के दौरान, जबकि उनके पति सफेद पठानी सूट पहने हुए थे लेकिन फातिमा भुट्टो ने एक सफेद अनारकली सूट पहन रखा था। फातिमा के भाई ने आगे ट्वीट में कहा, “समारोह में फातिमा के परिवार जनों ने हमारे दादाजी के पुस्तकालय में भाग लिया था। यह एक ऐसी जगह है, जो मेरी प्यारी बहन फातिमा के लिए बहुत अहम् रखती है।

हमारे साथी एवं देशवासियों और महिलाओं द्वारा महसूस की गई कठिन परिस्थितियों के कारण हम सभी लोगो ने महसूस किया कि देश में महगाई को देखते हुए भव्य रूप से जश्न मनाना उचित नहीं होगा।” जुल्फिकार ने वर वधु के लिए आशीर्वाद भी मांगा।

मई 1982 को हुआ फातिमा का जन्म

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक , फातिमा का जन्म 29 मई, 1982 को हुआ था। फातिमा ने कई किताबें लिखी हैं, जिसमें ‘सॉन्ग्स ऑफ ब्लड एंड स्वॉर्ड’ नामक एक संस्मरण किताब लिखी है, जो उनके परिवार के अशांत राजनीतिक इतिहास और उपन्यास ‘द शैडो ऑफ क्रिसेंट मून’, जो अफगान सीमा के पास एक छोटे से पाकिस्तानी शहर में लोगों के जीवन की जाँच पड़ताल करता है।

अपने लेखन के अतिरिक्त , उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों जैसे द फाइनेंशियल टाइम्स ,द गार्जियन, और द न्यूयॉर्क टाइम्स के लेखन द्वारा और निबंधों में भी अपना योगदान दिया है।

राजनीति में भुट्टो परिवार का लंबा रहा इतिहास
भुट्टो परिवार का पाकिस्तान की राजनीति में एक लंबा इतिहास रहा है, जबकि फातिमा के दादा जुल्फिकार अली भुट्टो देश के प्रधानमंत्री रहे। उनकी चाची बेनजीर भुट्टो भी प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर चुकी है । जुल्फिकार अली भुट्टो को 1979 में जिया उल हक़ द्वारा एक सैन्य तख्तापलट के बाद मार दिया गया था, जबकि बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर, 2007 को हत्या कर दी गई थी।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार , परिवार की राजनीतिक विरासत होने के बावजूद फातिमा भुट्टो एक लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही है। फातिमा अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए काफी हद तक राजनीति से दूर रहती है। फातिमा भुट्टो पाकिस्तान में पारंपरिक राजनीतिक व्यवस्था पर आलोचना भी किया करती रहती हैं।

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