पटना ब्यूरो, देवेंद्र यादव || जीतन राम मांझी के बेटे और बिहार सरकार में अनुसूचित जाति / जनजाति कल्याण मंत्री डॉ संतोष कुमार सुमन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना त्याग पत्र दे दिया है। संतोष कुमार ने कहा है कि नीतीश कुमार उनकी पार्टी हिंदुस्तान आवामी मोर्चा को जेडीयू में शामिल करना चाहती थी जो कि उन्हें नामंजूर था। हालांकि उन्होंने कहा है कि इस्तीफे के बाद भी उनकी पार्टी एचएएम महागठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी।
22 जून को सभी विपक्षी पार्टियों की महागठबंधन की बैठक पटना में होने जा रही है जिसका नेतृत्व खुद नीतीश कुमार कर रहे है। इस बैठक से ठीक पहले संतोष कुमार का इस्तीफा विपक्ष को कमजोर कर सकता है? अगर राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो ये लड़ाई लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर है। बिहार में इस समय बहुत-सी पार्टियों की गठबंधन की सरकार चल रही है।
बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट है। अगर सभी पार्टियां एक साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो सभी को मनचाही सीट नहीं मिलेगी जिस कारण आपस में खींच तान संभव है। यही कारण हो सकता है कि जेडीयू एचएएम के विलय की बाते होने लगी। जिस कारण संतोष कुमार ने नीतीश सरकार से इस्तीफा दे दिया।
इस प्रकार से अचानक इस्तीफा देने के बाद ये भी कयास लगाए जा रहे है कहीं एचएएम बीजेपी से हाथ तो नहीं मिला रही है। लेकिन एक दिन पहले जीतन राम मांझी ने साफ कर दिया था नीतीश कुमार उनके नेता है। उस वक्त जीतन राम मांझी ने 23 जून को होने वाली विपक्षी एकता कि बैठक में शामिल होने से मना कर दिया था। जीतन राम मांझी ने 5 सीटों की मांग की थी जिसे नीतीश कुमार ने नकार दिया था और उन्हें एक भी सीट ना देने का फैसला किया था।